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Taxi Driver - 80's की महान फ़िल्म का महान रिव्यु

Taxi Driver - 80's की महान फ़िल्म का महान रिव्यु

Loneliness has followed me my whole life. Everywhere. In bars, in cars, sidewalks, stores, everywhere. There's no escape. I'm God's lonely man

अकेलेपन का महत्व एक लेखक से पूछो क्या होता है . मुम्बई में हजारों स्ट्रगल करते लेखक अकेलापन ढूंढते रहते है. इस भीड़ भरे शहर में जहाँ अकेलापन मिला वही पेठ जमा लेते है ये लेखक। पांच लड़को से भरे फ्लैट में एक वो संडास की कुर्सी वो सुकून देती है जहाँ कई लेखक बैठ कर कुछ महान लिख भी डालते है .

Paul Schrader का पता नही उन्होंने ये कहानी कहा लिखी होगी. मगर कही न कही हर लेखक अपनी कृति में किसी न किसी जगह पर अपने जींवन से जुड़े कुछ अंश जरूर डालता है.


इस एकाकीपन में Taxi driver दूसरी बार देखने का मौका मिला.पहली बार पसंद नही आई थी क्योकि उस वक़्त टाइगर श्रॉफ का बॉलीवुड में फ़िल्म हीरोपंती से आगमन हुआ था. तो उस वक़्त उस फिल्म का बुखार था. जो बाद में लाई लाज बन गया. सिनेमा की समझ नही थी .बचपन से मिथुन के फैन जो रहे थे, माँ बहन के बलात्कार के बाद जब अपना कच्ची बस्ती का डॉन मिथुन दुश्मनों को मार एक हैप्पी एंडिंग दिलवा देता था तो माँ कसम सीटी बजा ही देता था ।

बाद में जब वर्ल्ड सिनेमा से पाला पड़ा तो समझ आयी कि भारतीय सिनेमा में सत्यजीत रे , मृणाल सेन  , श्याम बेनेगल, साहब भी अपनी कहानियां कह रहे थे। 

मुझे प्यार हो गया टैक्सी ड्राइवर ट्रेविस से.एक सम्मानित रूप से रिटायर्ड फौजी जिसकी ज़िन्दगी अकेलेपन के  घेरे में घूम रही है . जो रातों टैक्सी चलाता है बस अपना समय बिताने के लिए. जिसके कमरे में चीज़े अस्तव्यस्त यू पड़ी रहती की वो गवाही दे रही हो कि ट्रेविस अकेलापन महसूस करता है।  और इस अकेलेपन को दूर करने के लिए वो एक न्यूज पेपर एजेंसी में काम कर रही बेट्सी के पास दोस्ती का इजहार लेके जाता है.


यह कहानी ऊपरी रूप से आपको अनसुलझी,बिखरी हुई सी लगेगी मगर इसके निचले परत में यह कई गहरी बाते कह जाती है. यह ईशारा करती है विकसित अमेरिका के रात में होते मेले कपड़ो के बारे में. यह अमेरिका की राजनीति पर बात करती है मगर subtext के साथ.
ये उस सिनेमा की फ़िल्म है जिसमे गॉडफादर, अपोकलीप्स नाउ, Shawshank रिडेम्पशन जैसी फिल्में शामिल है. आज बदलते बॉलीवुड सिनेमा में नए लेखक और निर्देशक नई नई संभावनाएं पैदा कर रहे है , बात ऑस्कर की नही है बात है उस तरह का क्राफ्ट बनाने की जो 1941 में ही सिटीजन कैन के पहले से बनता आ रहा है.

रोबर्ट दी नीरो महान कलाकार है , जैसे नवाज़ुद्दीन , इरफान , मनोज वाजपई और वो हर कलाकार जो कला को कला समझता है. 
यह हर उस व्यक्ति की  जर्नी है जो अकेला है. फिल्म का ओपनिंग सीन जिसमे Bernard Herrmann का  बैकग्राउंड म्यूजिक आपको एक महान फिल्म से जुड़ने की संभावनाएं शुरुआत में ही पेश कर देती है. 
काश की इस फिल्म का रीमेक वर्शन बने आज के दौर के हिसाब से. जहा सड़को पर क्लाइमेट चेंज का विरोध करते लोग सड़को पर उतर रहे हो, जहा ओरिजिनल टैक्सी ड्राइवर में सड़को में घूमती प्रोस्टीटूएस की जगह प्राइवेट कंपनी में काम करते कर्मचारी दिखाए जाए.(you know subtext ). जहां अमेरिका का प्रेजिडेंट दिखाया जाए जो इमिग्रेंट्स के अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगा रहा हो और make a great america की बात करता हो.

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