kuchh ishq kiya kuchh kaam kiya
कुछ इश्क़ किया , कुछ काम किया
वो लोग बहुत खुश किस्मत थे
जो इश्क को काम समझते थे
या काम से इश्क करते थे.
हम जीते जी मशरूफ रहे
कुछ इश्क किया कुछ काम किया
काम इश्क के आड़े आता रहा
और इश्क से काम उलझता रहा
फैज़ साहब की इस मिसरा से वाखिफ तब हुआ जब पियूष मिश्रा साहब ने फैज़ साहब की इस इस नज्म को अपने अनुसार टटोला .मिश्रा साहब जैसे है वैसी उनकी यह नज्म समझ आती है. उनकी तरह मस्त मोला, अलहड़ और शब्दों में खुलापन और मस्तानापन .
पियूष मिश्रा साहब की किताब कुछ इश्क किया कुछ काम किया से कुछ अंश :
वो काम भला का क्या काम हुआ
जिस काम का बोझा सर पर हो
वो इश्क भला क्या इश्क हुआ
जिस इश्क का चर्चा घर पर हो,
वो काम भला का क्या काम हुआ
जो मज़ा ना दे व्हिस्की का
वो इश्क भला का इश्क हुआ
जिसमे मौक़ा ना हो सिसकी का
गुलाल फिल्म के समय से ही मैं पियूष मिश्रा साहब की अदाकारी का कायल हूँ मगर उससे भी ज्यादा उनकी लेखनी का फैन हूँ. उनकी कविताओं , गजलो में उनके जिंदगी के अंश दिखाई पड़ते है और उनके शब्दों में उनकी जिंदगी के बोल सुनाई पड़ते है.
कुछ इश्क किया कुछ काम किया पियूष मिश्रा साहब की किताब में उनके जीवन के पल उन्होंने पिरोये है. समय मिले अगर तो जरुर पढना . उन्होंने तो फैज़ साहब से मुआफी का हिसाब पहले ही फिक्स कर लिया. मगर मैं भी मुआफी मांग लूँगा अगर यही ज़मीन पर मिले तो. क्योकि मेरे भी अन्दर भी वही कीड़ा जाग उठा जो शायद मिश्रा साहब के अन्दर उठा था . इसलिए मैंने भी मिश्रा साहब की कविता कुछ इश्क किया कुछ काम किया में अपने विचार- शब्द जोड़ने की तोहमत जुटाई.
Note : पियूष मिश्रा साहब की किताब " कुछ इश्क किया कुछ काम किया " के बारे में
Kuch Ishq Kiya Kuch Kaam Kiya |
कुछ इश्क किया , कुछ काम किया - Ekarwaan
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमे लगे ज़िन्दगी सस्ती
वो इश्क भला क्या इश्क हुआ
जिसमे न मजा न मस्ती,
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमे मर मर के जीना हो
वो इश्क भला क्या इश्क हुआ
जिसमे गम में ना पीना हों,
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमे साँसों का सिकुड़ना हों
वो इश्क भला क्या इश्क हुआ
जिसमे ना मिलना ना बिछड़ना हो,
वो काम भला क्या काम हुआ
जो रातो की नींद उड़ा जाए
वो इश्क भला का इश्क हुआ
जो अपनों का साथ छुड़ा जाए
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमे भ्रष्टाचार का खून लगा हो
वो इश्क भला क्या इश्क हुआ
जिसमे स्वार्थपन का दगा हो,
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमे धोखा और चालबाजी हो
वो इश्क भला क्या इश्क हुआ
जिसमे ना मियाँ ना बीवी राज़ी हो,
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमे काम ना हो अपने तरीके से
वो इश्क भला क्या इश्क हुआ
जिसमे रोमांस हो सलीके से .
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