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Kuch Ishq Kiya Kuch Kaam Kiya - Journey Of Piyush Mishra

Kuch Ishq Kiya Kuch Kaam Kiya - Journey Of Piyush Mishra

" कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया " फ़ैज़ साहब की मशहूर नज्म.  मिश्रा साहब बड़ी बेबाकी से बेशर्मी से कहते है कि " ज़िन्दगी पे इतना फबा की हक से ' चुरा लिया ' .


बॉलीवुड में हीरो बनने का सपना लिए NSD ( एनएसडी उतना ही क्रांतिकारी प्रतीत होता है जितना JNU , जितना FTII ) से आया ग्वालियर का लड़का जिसकी चाल ढाल में एक तरीके का नवाबीपन है जो Mp के लोगो मे रहता है .
मगर कहाँ किसको सब कुछ मिलता है इस दुनिया मे , जिनको जब मिलता है तब समय निकल चुका होता है । इसी मिलने न मिलने की जद्दोजहत के बीच मे मिश्रा जी कई फिल्मों में छोटे छोटे किरदार करते गए , और नशे की दुनिया मे लिप्त होते गए . और जब मिला तब वो आज अपनी ज़िंदगी इस किताब " कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया " के जरिये बताने की कोशिश कर रहे है ।।




पीयूष मिश्रा , यह नाम मुझे गुलाल फ़िल्म से याद है . और उनका एक डायलॉग भी याद है, " जिस देश ने हर शक्स को उसका काम था सोपा , उस शक्स ने उस काम की माँ चीस जलाके छोड़ दी "

हर आर्टिस्ट  किसी एक विशेष कृति के द्वारा अपनी ज़िंदगी बतलाना चाहता है , जैसे Alfonso Cuarón ने रोमा फ़िल्म के द्वारा अपनी ज़िंदगी के पल दिखाए . उसी तरह इस किताब  में भी मिश्रा जी अपनी जिंदगी के पल जैसे उनकी ज़िंदगी मे एक लड़की के बारे में वो लिखते है


इस मुंबई नाम के सागर में एक सुन्दर लड़की रहती थी जो हसंती थोड़ा कम ही थी बस अक्सर रोती रहती थी 

पीयूष मिश्रा ने भगत सिंह को लेकर प्यार सबको कई बार बताया है. सच कहूँ तो भगत सिंह की दूसरी छवि ही मुझे मिश्रा साहब के द्वारा पता चली । इस किताब में उन्होंने बताया है कि आज भगत सिंह होते तो क्या होता 
आबोहवा ज़हर है
चारों तरफ कहर है
आलम नहीं है ऐसा
की इश्क़ कर सकूँ मैं.... 


यह किताब से मैने जाना उस इंसान की ज़िंदगी के पल, जो कई साल गुमनामी के दौर में रहा , अल्कोहलिक बना और सब से दूर आज आध्यात्मिक बाते भी करता है ।।

इस किताब में उन सबको शुक्रिया कहा है जिन्होंने उस  दौर में मिश्रा साहब का साथ दिया . 




Love You मिश्रा साहब !!






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