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ARTICLE 15 : सवाल पूछने वाला सिनेमा

ARTICLE 15 : सवाल पूछने वाला सिनेमा


फ़िल्म की शुरुआत ही BOB dylan के song से होती है जो खुद सवाल पूछता है।
How many Roads Must A Man Walk down
Before You Call Him a Man?
How Many Seas Must a White Dove Sail
Before She Sleeps in the Sand
The Answer is My Friend , is Blowin in the Wind


 मैं भी एक सवाल पूछता हूँ फ़िल्म के निर्देशक अनुभव सिन्हा से की कहा थे प्रभु ? कहाँ थे अब तक ? कहाँ तुम Ra.one, Dus और कैश के चक्कर मे पड़ गए थे. AMU से पढ़ा  लड़का कहाँ मुम्बई के चकाचौंध में घुल गया था . शायद कम्फ़र्टेबल हो गया था और जो कम्फ़र्टेबल होते है वो सवाल कहा करते है। खुद अनुभव ने लल्लनटॉप को दिए Interview में कहा था कि वो पैसों और शोहरत में ऐसे डूब गए थे कि असली अनुभव सिन्हा कही छुप गया था . मगर यह राम नाम का COOL गमछा पहने बदला हुआ सा अनुभव असली भारत से मिलवा रहा हैं जो So Called Doveloping India की आड़ में छुप रहा है .

खेर देर आये दुरस्त आये , और साथ ऐसा सिनेमा लाये जो मुद्दों पर बात करता है ना कि बेफजूल के मुद्दे बनाये. पहले MuLk और अब Article 15 . यह वो सिनेमा है जो संवेदनशील मुद्दों से दर्शकों को वाकिफ करवा रहा है , ऐसा सिनेमा जिसे कोई टच नही करना चाहता ।

बॉब डायलन के गाने से शुरू होती फ़िल्म वंदे मातरम की धुन से खत्म होती है और यह उम्मीद जगा देती है कि भारत मे कई परेशानियां है और उनका हल निकल सकता है जब हम ईमानदारी से काम करे ।

असली भारत की कहानी


बात करते है कहानी की. जिसको काल्पनिक कहानी ही कहा जाए तो सही रहेगा वरना वास्तविकता के चक्कर मे गिले शिकवे हो जाएंगे। यह विषय चुनना साहसिक कदम था और उससे भी साहसिक इसका ज्यादा रूप में सरल और स्पष्ठ होना. गौरव सोलंकी जो इस फ़िल्म के लेखक है जो इंजीनियर छात्र रह चुके है और कहना चाहूंगा इस टाइम लेखक और क्रिएटिविटी में ये साले इंजीनियर लोग किल कर रहे है ।।

वास्तविक कलाकार



 फ़िल्म के सभी पात्र काल्पनिक है मगर वास्तविक जैसी एक्टिंग कर गए है. आयुष्मान जिनका अच्छा  टाइम आ गया है वो पिछले साल की तरह इस साल भी बढ़िया काम कर रहे है. आयुष्मान का किरदार अयान  जो doveloping India जानता है मगर असली भारत से अनभिज्ञ है . वेसे ही जैसे भारत के NRI लोग जिनको देश मिट्टी बुला रही है मगर वो वही रहकर मेरा भारत महान चिल्ला रहे है . जो वर्ल्ड कप में दर्शक संख्या बढ़ाकर टीम का हौसला बढ़ा रहे है , वही जो वहां बैठ कर कहते है मेरा भारत महान , मगर भारत नही जाना मेने ।।
एक असलियत यह भी है कि भारत मे हर साल कई होनहार IAS बनते है, जो सिस्टम को बदलना चाहते है मगर जब भारत का शासन ऐसे लोग चला रहे हो जो सत्रह का पहाड़ा भी नही बोल सकते , और हुकुम करते है उस प्रशासन पर जो बहुत पढ़कर भी कुछ नही कर सकते और इस खोखली व्यवस्ता के आगे हिम्मत हार जाते है और सिस्टम बदलने वाले सिस्टम का ही हिस्सा बनकर रह जाते है ।।

मनोज पाहवा अपने शरीर की तरह बेस्ट है . उनका यह गोल मटोल शरीर ही उनके किरदारों को और सही रूप से गढ़ देता है . ( ऋतिक रोशन जबरदस्ती मुँह पर गिरीस रगड़कर बिहारी बन रहे है ).मनोज पाहवा जी का किरदार के चलने की स्टाइल , बोलने का तरीका , गले मे कूल गमछा डाले एक दम शानदार जानदार है ।।

जाटव के किरदार में कुमुद मिश्रा जी प्रभावी हमेशा की तरह ,जब वो रॉकस्टार के advicer बने थे ,जब वे रांझणा में कुंदन के होने वाले ससुर बने थे मगर saddly ससुर हो नही सके । हर किरदार यह ऐसे अभिनीत करते है जैसे ........

सयानी गुप्ता को पहली बार मैने Magrita with straw फ़िल्म में देखा था , वो किरदार भी  अपने आप मे साहसिक किरदार था ( फ़िल्म देखलो खुद जान जाओ ). अजय देवगन जैसी नशीली आंखों से खेलती यह एक्ट्रेस कम डायलॉग होने के बावजूद बहुत कुछ कह जाती है।।

इनके अलावा वही लल्लनटॉप लोंडा ज़ीशान आयूब भी है मगर thank god इन बार हीरो के दोस्त नही बने , इस बार बागी बने है . जो बहुत कुछ पढ़ लिए है मगर नीची जात में है तो तरक्की नही कर पाए है।।

कुलमिलाकर सबने बढ़िया अभिनय किया है ।।

सिनेमेटोग्राफी




फ़िल्म में जो मुझे सबसे शानदार लगा वो है फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी ।
For instance :
1. जब थर्राता कैमरा पेड़ पर लड़की लाशों को दिखाता है तो सीधे हमे अय्यान के किरदार के अंदर उछलती बेचैनी महसूस करवाता है।
2. खेतो में भागती लड़कियों के साथ जब कैमरा भी हिचकोले खाता मूव होता है तो ऐसा लगता है आप भी जान बचाते दौड़ रहे हो।
3. जब सीवरेज में उतरता कर्मचारी के कैमरा भी उस गंदे पानी मे उतरता है तो हमें उस शक्श के रोज मर्रा के इसी काम और उससे होने वाली परेशानी से वाकिफ करवाता है ।

 इसके लिए Ewan Mulligan को सलामी . इस फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी ने Revenent की सिनेमेटोग्राफी के लेवल को टच कर ही लिया है .



यह देखना जरुरी है हर उस शक्श के लिए जो अपनी गाड़ी के पीछे अपनी कास्ट की नेम प्लेट लगाकर रखते है.
यह देखना जरुरी है हर शक्श के लिए जो जाति के नाम वाले whatsapp ग्रुप से जुड़ा हुआ है.admin के ख़ास शो रखा जाएगा।
यह देखना जरुरी है हर शक्श के लिए जो जातिवाद सोच रखता है.

यह भारतीय सिनेमा है डवलपिंग सिनेमा।।

#ARTICLE15









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