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पान की दुकान - सफर में मुलाकात

पान की दुकान - सफर में मुलाकात

सही कहते है लोग दुनिया के सबसे बड़े ज्ञानी भारत में नाई की दूकान या फिर पान की दूकान पर मिलते है . झाट नही उखाड़ा होगा उन्होंने लेकिन बकचोदी ऐसी की जमुरा भी शर्मा जाए .
ये ऐसे लोग होते है जो खुद की बात को सबसे शीर्ष पर रखते है . उनके कठघरे में कभी वो बातो ही बातो गांधी को घेरे में ले आते है की देश को आजादी गांधी जी ने दिलायी या फिर भगत सिंह ने  ,कभी धर्म के नाम पर किसी किसी भगवान् को. हद हो गयी जब पान वाला एक ग्राहक से बतिया रहा था कि कृष्ण भगवान् के नाम नही लेना चाहिए .उसका मानना था कि कृष्ण छिछोरा था , माखन चुराता था तो चोर भी था . इसलिए सबको राम का नाम लेना चाहिए .
मैं घोर धर्मसंकट में .यार अब क्या करूँ? पहले तो अल्लाह और भगवान् में फर्क करके मुझे बताया कि तुम हिन्दू को भगवान् की पूजा करो ,मगर अब यह भी हमे किस भगवान की पूजा करनी है या नही .
फिर  क्या मैने गाडी स्टार्ट की और चल दिया ,कुछ दूर याद आया उसके पैसे नही दिए थे मैंने जब ही सोचूं यह आवाज़ कौन लगा रहा है .खेर उसके पास उसके भगवान् है ,राम जी है ,याद करते रहेंगे उन्हें ,शायद लॉटरी निकल आये !!

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