A STORY OF AN ASSEMBLE JAPANI FAMILY
एक माँ अपने बच्चे को गोद में लिए प्रोफेट से पूछती है अपने बच्चे के अस्तित्व के बारे में.प्रोफेट जवाब देते है , तुम्हरे बच्चे तुम्हारे बच्चे नहीं है. तुम तो सिर्फ एक जरिया हो जिसके द्वारा वो इस दुनिया में आये है , तुम उनके उत्त्पत्ति का कारण नहीं हो.
THEY COME THROUGH YOU BUT NOT FROM YOU
खलील जिब्रान की मशहूर किताब THE PROPHET का यह अंश बताता है की सिर्फ किसी बच्चे के माँ बाप होना बच्चे के लिए परिवार पूरा करने के सम्बंधित बिलकुल भी नहीं। इसलिए कई देशों में जब माँ बाप किसी बच्चे को सही से पाल पाने या देख रहे करने में नाकामयाब होते है तो अथॉरिटीज उस बच्चे को किसी सक्षम व्यक्ति को सुपुर्द करा देते है.
SHOPLIFTERS भी इसी मुद्दे को बड़े कामयाब तरीके से बतलाती है. कहानी है जापान के एक परिवार के बारे में जिसमे शामिल है OSAMU परिवार में पिता का किरदार निभाने वाला , NOBUYO परिवार में पत्नी का किरदार निभाने वाली, AKI जो की नोबुयों की बहन है, SHOTA एक यंग बॉय जो पहले ही दृश्य में पिता के साथ शॉप में चोरी करते दिखाया जाता है. फिल्म का नाम इसी वाकया के नाम पर होगा क्योकि दोनों ओसामु और शोता अक्सर दुकानों पर जाकर बड़े आराम से सामान चोरी करते है जैसे की साधारण दिनचर्या हो. मगर फिल्म कई गहरे राज लिए होते है , जो जापान की गरीबी और शॉपलिफ्टिंग जैसी समस्या पर रौशनी डालती है.
WHAT MAKES A FAMILY
YURI जो अक्सर अपने घर के बाहर बैठी रहती है , उसे ओसामु उठा कर अपने परिवार में ले आता है और शामिल करलेता है. यूरी इस परिवार में आकर खुश है , क्योकि उसके असली परिवार में उसे वो ख़ुशी नहीं मिल रही थी जो उसे इस परिवार में मिल रही है. यह फिल्म इसी विषय पर आधारित है की आप अपने बच्चे को स्कूल भेज देते है, ज्यादा पढ़ना चाहे तो पर्सनल ट्यूशन लगा देते है मगर आजकल इतना फुरसत नहीं है की बच्चे के साथ वक़्त बैठ कर उसे समय दे.
जापानी सिनेमा का जब भी नाम लिया जाता है मुझे सबसे पहले अकीरा कुरोसावा का नाम याद आता है , जिसने मुख्य रूप से जापानी सिनेमा में कमर्शियल मगर एक प्रभावी सिनेमा को पूरी दुनिया से रूबरू करवाया। यह भी बिलकुल सही है कुरोसावा की तरह ही ओज़ू ने भी जापानी सिनेमा में शानदार काम किया है। जिनकी 1953 में आयी फिल्म टोक्यो स्टोरी फिल्म को बड़े बड़े फिल्म जाता है.
फिल्म को इसकी गति के आधार पर रिव्यु करना इसके साथ या फिर हर उस महान फिल्म के साथ नाइंसाफी होगी जो कांन्स जैसे फेस्टिवल्स में सराही जाती है। ऐसी फिल्मे ठहर कर आपको उसके किरदारों के साथ जुड़ जाने के लिए समय देती है, आप फिल्म की दुनिया में शामिल हो जाते हो। ग्रेविटी जैसी फिल्म के निर्देशक की फिल्म ROMA भी इसी तरह के सिनेमा को प्रस्तुत करती है।
इस तरह की फिल्मे आपके धैर्य की परीक्षा लेती है. एक बार फिल्म के साथ जुड़ जाते हो तो लम्बे समय तक ये हमारे साथ ठहर जाती है. यह फिल्म एक जापानी परिवार की खूबसूरत जर्नी है , जो अंत आते आते आपको कई सारे गहरे सवालो से परदा उठाती है.
PIC SOURCE : SANTABANTA.COM
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