RAKKHOSH - भारत की पहली POV स्टाइल फ़िल्म का हिंदी रिव्यु
पिछले साल आयी फ़िल्म TUMBBAAD जिस तरीके से भारतीय हॉरर सिनेमा में नई ताजगी लायी थी ,उसी तरह Rakkhosh भी भारतीय सिनेमा में एक नई तरीके का सिनेमा लायी है जिसे फर्स्ट पर्सन POV तकनीक कहते है , जिसके अंतर्गत फ़िल्म का मुख्य किरदार कैमरा होता है .
पिछले साल आयी फ़िल्म TUMBBAAD जिस तरीके से भारतीय हॉरर सिनेमा में नई ताजगी लायी थी ,उसी तरह Rakkhosh भी भारतीय सिनेमा में एक नई तरीके का सिनेमा लायी है जिसे फर्स्ट पर्सन POV तकनीक कहते है , जिसके अंतर्गत फ़िल्म का मुख्य किरदार कैमरा होता है .
जैसे : हम काउंटर स्ट्राइक गेम खेलते थे जिसमें हमारे प्लेयर के सिर्फ हाथ दिखाई देते थे , वैसी ही स्टाइल में बनाई गई है यह फ़िल्म। इसे Red Dragon 6K कैमरे से शूट किया गया है।
इस तरीके का एक्सपेरिमेंट हॉलीवुड में पहले ही किया जा चुका है . जिसके अंतर्गत HARDCORE HENRY फ़िल्म आयी थी. खेर RAKKHOSH वो लेवल तो नही छू पाती क्योकि यहां बजट कम था ,मगर फिर भी यह आपको बिना बोर किये , आपको एक नए सिनेमा से सफल रूप से परिचित करवाती है।।
#कहानी
फ़िल्म की कहानी है पुणे के एक मेन्टल हॉस्पिटल की ,जहाँ बिरसा नाम का मुख्य किरदार भी भर्ती है. वो वहाँ से निकलना चाहता है. जिसके लिए वो उसके दोस्त कुमार जॉन और कुमार जॉन की बेटी के साथ वहा से निकलने का और हॉस्पिटल में हो रही लगातार हत्याओं के राज जानना चाहता है ।
#किरदार
फ़िल्म में बिरसा को आवाज़ दी है नामित दास ने . बिरसा के दोस्त कुमार जॉन के किरदार में है संजय मिश्रा. जो इस फ़िल्म में हमेशा की तरह उच्च दर्जे का अभिनय करते है ,उसकी के साथ वो क्यूट भी लगते है.
बिरसा की बहन के किरदार में तनीषा चटर्जी और कुमार जॉन की बेटी के किरदार में प्रियंका बॉस ने बढ़िया सधा हुआ अभिनय किया है.
इनके अलावा एक किरदार जो सबसे मस्त लगा वो जो खुद को थर्ड ग्रेड अफसर बताता है , जिसको बेहद उम्दा तरीके से निभाया है अतुल महाले ने .
बिरसा की बहन के किरदार में तनीषा चटर्जी और कुमार जॉन की बेटी के किरदार में प्रियंका बॉस ने बढ़िया सधा हुआ अभिनय किया है.
इनके अलावा एक किरदार जो सबसे मस्त लगा वो जो खुद को थर्ड ग्रेड अफसर बताता है , जिसको बेहद उम्दा तरीके से निभाया है अतुल महाले ने .
# रिव्यु
फ़िल्म बढ़िया है , कही भी आपको बोर नही करती . शुरू का एक घंटा तो आप संजय मिश्रा जी के शानदार अभिनय को देख कर ही मंत्र मुग्ध हो जाओगे .
फ़िल्म का एक और शानदार पहलू है इसकी सिनेमाटोग्राफी . जहां एक फ्रेम में कई किरदारों को दिखाना हो या कैमरा स्टाइल के साथ एक्सपेरिमेंट करना ।।
फ़िल्म का एक और शानदार पहलू है इसकी सिनेमाटोग्राफी . जहां एक फ्रेम में कई किरदारों को दिखाना हो या कैमरा स्टाइल के साथ एक्सपेरिमेंट करना ।।
फ़िल्म में लगता है जैसे हम खुद ही बिरसा है. जब बिरसा को कोई मारता है तो कैमरे का हिलना , जब बिरसा कुछ महसूस या फिर उसके पास्ट के दर्शय उसके दिमाग मे आते है वो भी हमें महसूस करवाया जाता है . यह शानदार काम फ़िल्म के सिनेमेटोग्राफर के साथ साथ फ़िल्म के निर्देशक अभिजीत कोकाटे और श्रीविनाय सालियान ने बहुत खूब काम किया है . ऐसा नया तरीके का सिनेमा ही आने वाले बॉलीवुड का सिनेमा होगा।।
फ़िल्म नेटफ्लिक्स पर मिल जाएगी ,जरूर देखें ,मजा आएगा ।।
#नेटफ्लिक्स
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