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शाहरुख़ की "जीरो"  से नयी शुरुआत

शाहरुख़ की "जीरो" से नयी शुरुआत

आज नए साल की पहली तारीख है ,लोगो को वदिया वदिया बधाइयां ,उपहार मिल रहे है .इसी कड़ी में शाहरुख़ ने अपने फैंस को एक बहुत ही जबराट किस्म का उपहार दिया है ,उनकी नयी फिल्म की छोटी सी झलक दिखाकर, जिसमे शाहरुख़ अल्हड, नटखट,बेपरवाह,बेशर्म किस्म के इंसान के साथ साथ बड़े दिल वाले हीरो की छवि को लेकर सिनेमाघरों में 2018 में आ रहे है.इस किरदार की सबसे अलग खाशियत इसका बौना होना है , यह बौना आदमी गेम ऑफ़ थ्रोन्स वाले बौने की तरह घमंडी,लीडरशिप वाला बंदा नही है बल्कि यह तो आनंद एल रॉय की फिल्मों के उन किरदारों की जैसा है जो भोले होते है लेकिन अपना एक अलग ही मिज़ाज़ होते है , वो सख्त लौंडे होते है मगर कहाँ पिघलते है यह आनंद एल राय बेशक जानते है और यही जानने की छवि आज उनको बॉलीवुड के बेहतरीन निर्देशकों में खड़ा करती है.
शाहरुख़ वही जिसने बॉलीवुड में हीरो की परिभाषा का रुख बदल दिया जब उन्होंने डर में पागल ,मजनू का किरदार या फिर बदले की आग में सुलगते कोयले वाला बाज़ीगर का किरदार निभाया. दिल्ली का लौंडा जब मुम्बई का बादशाह बन जाता है , मगर दिल्ली वालों की वही उल्हाड़बाजी उसमे अभी भी है शायद यह खासियत आनंद साहब को शाहरुख़ के पास खिंच लाई , और आनंद साहब के अलग मिजाज में शाहरुख़ भी खुद अपना नया किरदार ढूढने लग गए.
कितना मुश्किल है गलतियों से सीखना , और वेसे भी हार कर जितने वाले को ही बाज़ीगर कहते है.अब यही बाजीगर अपना मुकाम नही तलाश रहा ,बल्कि यह अपना नया वजूद बनाना चाहता है, तभी तो शाहरुख़ कभी इम्तियाज़ के साथ आते है , तो कभी आनंद साहब के साथ.
तो त्यार हो जाइये , नीरस मत होइए, वेसे भी excited होने के पैसे नही लगते , और इन्तजार कीजिये srk की नई फिल्म"जीरो"का !!


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