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ज़िन्दगी आसान तो फिर जोर जबरदस्ती क्यों ?

ज़िन्दगी आसान तो फिर जोर जबरदस्ती क्यों ?

ज़िन्दगी आसान है. मगर हमारी इच्छाओं ने , हमारी उम्मीदों ने , हमारा हर चीज़ को पाने की खवाइश  ने और ज़िन्दगी हमारे अनुसार हो , इसी जिद्द ने ज़िन्दगी को कठिन बना दिया है.
मैं कहता हूँ :

ज़िन्दगी आसान तो फिर जोर जबरदस्ती क्यों ?

हम चाहते है ज़िन्दगी हमारे अनुसार हो. हम चाहते है की जो हम चाहे वो सब कुछ हमें मिल जाए. इसी जिद को पूरा करने के लिए हम लड़ पड़ते है ज़िन्दगी से. ज़िन्दगी हमसे दोस्ती करना चाहती है और एक हम है की ज़िन्दगी के साथ लड़ाई करना चाहते है. 

हम ज़िन्दगी से जोर जबरदस्ती करना चाहते है. और कई बार हम जोर जबरदस्ती से वो कुछ पा भी लेते है जो हम चाहते है. और कई बार वो सही भी रहता है मगर अनेको बार वो गलत ही रहता है.

आइये कुछ बिन्दुओं से जानते है आखिर क्यों ज़िन्दगी में जोर जबरदस्ती नही करनी चाहिए .

1. सही कर्म करो और इच्छाओ को स्वयं ही पूरा होने दो :

मेरे एक दोस्त ने माँ-बाप से खूब पिटाई खाई और खूब  गालियाँ सुनने के बाद अपनी पसंदीदा डेढ़ लाख वाली बाइक ले ली.मगर बाद में जब उसमे पेट्रोल डलवाने के पैसे नही होते , कभी उसकी सर्विस करवाने के लिए पैसे नही रहते तो वो खुद उस बाइक से परेशान हो गया. उसकी जेब में जो भी पैसे होते वो उसकी बाइक में चले जाते. बाइक आने के पहले उसकी जेब में पैसे रहते थे, उसकी कई जरूरते पूरी कर लेता था मगर अब सिर्फ उसकी बाइक को चलाने की मजबूरियां ही पूरी करता रहता है.

ज़िन्दगी को उसने इतना कठिन बना लिया की अब वो ज़िन्दगी से परेशान रहने लग गया था. और फिर एक दिन उसने बहुत गलत कदम उठा लिया ............................................................................. बाइक को बेचने के विचार को टाल दिया और उसी बाइक के साथ जीवन जीने की ठानी. इसीलिए कहता हूँ अगर ज़िन्दगी सुकून से जीनी है तो ज़िन्दगी में जोर जबरदस्ती नही, ज़िन्दगी से दोस्ती करके उसके फ्लो के साथ बहना सीखो. 

ज़िन्दगी आसान तो फिर जोर जबरदस्ती क्यों ?
कर्म करते जाओ, फल की इच्छा मत करो.


2. इश्क में जोर जबरदस्ती नही , इश्क तो आप ही फूलता है किसी कमल के फूल की तरह :

इश्क क्या है ? प्रेम क्या है ?.... प्रेम तो उस कमल के फूल की तरह है जो खुद ही खिलता है. प्रेम में न कोई बेड़ियाँ होती है, न कोई जोर जबरदस्ती. दार्शनिक गुरु ओशो ने कहा था " प्रेम आज़ादी देता है ना की गुलामी की बेड़ियाँ "
वो प्रेम ही क्या जिसमे मजबूरियां हो. वो प्रेम ही क्या जिसमे कोई नियम हो. नियम कायदों से तो Arrange marriage होती है. प्रेम तो सारे नियम कायदे तोड़ कर हो जाता है , ना कोई धर्म देखता है, ना कोई जात, न कोई हुसन, वो प्रेम ही क्या जो मज़बूरी से हो जाए. प्रेम तो स्वयं ही होता है इसमें जोर जबरदस्ती का क्या रोल.

मगर आजकल लड़के - लड़कियों को प्रेम करना है . तो वो जबरदस्ती से किसी से भी प्रेम में जुड़ना चाहते है. मगर प्रेम और शारीरिक लालसा में काफी अंतर है. शारीरिक लालसा शारीरिक और बाहरी सोन्दर्य से होता है मगर सच्चा प्रेम तो अन्दर के इंसान से होता है. तभी हम कई बार सुनते या देखते है , किसी दो प्रेमी जोड़ो में ऊँची नीची जात की खाई नही रहती. ना ही उनमे किसी तरह की सेल्फिशनेस होती है. 

कई लोगो को प्रेम करना है , लव मैरिज करनी है . तो वो जोर लगाते है, जबरदस्ती करते है ,की कोई मेरे जैसा अभागा मिल जाए ताकि मैं भी लव मैरिज करू और सो कॉल्ड लव मैरिज कपल्स की लिस्ट में आ जाऊं . और फिर शादी के बाद मन मुटाव होता रहता है. और फिर समाज के ठेकेदार प्रेम को दोष देते है. मगर प्रेम तो उस बांस के पेड़ की तरह है जो परिपकव होने में समय लेता है. बस  इन्तेजार करना पड़ता है ,ना की जोर जबरदस्ती करना हो.
बेफिजूल में देवदास बनने की जरुरत नही. जिसको जाना होगा वो जाएगा और जिसको आना होगा वो आएगा . 
ज़िन्दगी आसान तो फिर जोर जबरदस्ती क्यों ?
प्रेम में आज़ादी होनी चाहिए ना की बंदिशे.



3. पैशन का कीड़ा 

मेहनत कुछ किये नही. अपने सपने को पाने के लिए उस पर सही तरीके से काम किये नही. उसके pros and cons को जाने नही. और चल दिए पैशन फॉलो करने. और जब उस पैशन की राह में रोड़े लग जाते है *SORRY* उस राह में रोड़े आने लगते है, पैशन वाली गाड़ी हिचकिचाने लगती है तो सारा पैशन का बहुत उतर जाता है.

अभी कुछ समय पहले देश में पैशन फॉलो करने का कीड़ा लग गया था लोगो को. लोंडे अच्छी खासी जॉब छोड़ छोड़ कर पैशन फॉलो करने में लग गये. कोई कहता " माउंटेन्स आर कालिंग मी " , कोई कहता " आई बिलीव इन माय ड्रीम ", कोई कहता " I am going find My life's purpose " . और जब जेबे खाली हो जाती, तब याद आती वही बिना पैशन वाली ज़िन्दगी. जिसमे पैशन नही था मगर फालतू का टेंशन भी नही था.


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Image source : scrolldroll.com

2013 के बाद भारत में बहुत सारे नए startups की बाढ़ आई . जो आई तो थी की देश को और Enterpreneaurs (स्पेल्लिंग गलत है : पता है ) की ज़िन्दगी को उचाई पर ले जायेगी मगर ओंधे मुंह वाली खाई में गिर गयी. क्योकि उनमे आधे से ज्यादा startups इस कारण आये थे की पैशन फॉलो करना है और आधे TVF PITCHERS देखकर आये थे . वो सब startups फ़ैल हो गए.

इसलिए कहता हूँ जहां हो, भगवान ने जितना दिया है खुश रहो और खुद से इमानदार रहो. भेडचाल में ना पड़ो. पैशन बनता है सपनो से . उन सपनो से जो सोने नही देते. सपने वो जो खुली आँखों से देखे जाए. 

4. Just Go with Flow

तो बात का सार यह है की ज़िन्दगी के साथ जीना सीखो. ज़िन्दगी से रेस मत लगाओ. जस्ट गो विद फ्लो. अक्सर हम कई उम्मीदे पालते है और अक्सर उम्मीदे पूरी नही होती . क्योकि हमें नही पता की ज़िन्दगी में अगले पल क्या होयेगा. तो ज़िन्दगी का सफ़र एक बहती धारा है जो बह रही है उसके साथ दौड़ो मत..उसको दौड़ते देखो. उसमे उतर कर देखो. देखो ज़िन्दगी की यह धारा कहा ले जाती है. 
ज़िन्दगी आसान तो फिर जोर जबरदस्ती क्यों ?



किशोर कुमार के गाने के बोल याद आ रहे है " ज़िन्दगी कैसी है पहली , कभी हँसाए , कभी रुलाए "









 

2 comments

  1. भाई इसे पढ़कर दिमाग का नशा उतर गया।
    बहोत ही शानदार लिखा है। इससे मिलती जुलती अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा।

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