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पाश की कविता " सबसे खतरनाक "

पाश की कविता " सबसे खतरनाक "

हर किसी को नहीं आते सपने
बेजान बारूद के कणो  में
सोई  आग के सपने नहीं आते
बदी के लिए उठी  हुई
हथेली को पसीने नहीं आते
शेल्फी में पड़े
इतिहास के ग्रंथो के सपने नहीं आते
सपनो के लिए लाज़मी है
झेलनेवाले दिलों  का होना
 नींद  की नजर होनी लाज़मी है
सपने इसलिए हर किसी को नहीं आते 
9 सितम्बर 1950 को जालंधर के छोटे से गाँव talwandi  salem  में जन्मे पाश का पहले नाम अवतार सिंह संधू था. पाश एक पंजाबी कवी है जिनकी कविताओं में जहा एक तरफ क्रांतिकारी आक्रोश झलक था है , वही दूसरी और करुणा के सागर में गोते लगाते शब्दो से बने पध भी लिखे है पाश ने.

खेर  पाश के बारे में इंटरनेट पर बहुत कुछ है. मगर यहाँ  मैं जिक्र करना चाहूंगा पाश की बेहतरीन कविताओं का. वैसे भी आज की यूथ के लिए पाश के बारे  जरुरी है और उनकी कृतियों के बारे में जानना जरुरी है.

वैसे पाश की तुलना भगत सिंह जी से की जाती है. क्योकि भगत सिंह भी पंजाब से है , पाश में भी क्रांतिकारी झलक दिखाई पड़ती है भगत सिंह की तरह.

पाश की एक मशहूर कविता है जो सबसे चर्चित है " सबसे खतरनाक " . यह भी सीधे रूबरू करवाती है पाश के मनोविज्ञान से की वो अपनी कविताओं से सहारे क्या कहना चाहते थे.


मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़े जाना बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता

कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना बुरा तो है
जुगनुओं की लौ में पढ़ना
मुट्ठियां भींचकर बस वक्‍त निकाल लेना बुरा तो हैसबसे खतरनाक नहीं होता
सबसे खतरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना
तड़प का न होना
सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर घर आना
सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना
सबसे खतरनाक वो घड़ी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी नजर में रुकी होती है
सबसे खतरनाक वो आंख होती है
जिसकी नज़र दुनिया को मोहब्‍बत से चूमना भूल जाती है
और जो एक घटिया दोहराव के क्रम में खो जाती है

"सबसे खतरनाक" कविता
















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