कविता
कुछ करना है तो कर डालो - सपनों के पीछे दौड़ती ज़िन्दगी का फलसफा चार्ल्स बुकोव्स्की की कविता
सपने सब देखते है, मगर उस रास्ते पर चलना बहुत कठिन है जो सपनों के करीब ले जाये.
घर से निकल जाते है लोग
अपने सपनो को पाने के लिए,
उनसे बिछड़ जाते है लोग सपनो को पाने के लिए,
वो मंजिल मिलेगी या नही ,
मगर फिर भी ज़िन्दगी की बाज़ी लगा देते है
सिर्फ उन सपनों को पाने के लिए
अगर कुछ करना है
तो कर डालो
वरना शुरू भी मत करना!
अग़र कुछ करना है
तो कर डालो
भले ही तुमसे छूट जाए
तुम्हारी प्रेमिका
या पत्नी
या नौकरी
या फ़िर तुम्हारा दिमाग
लेकिन तुम कर डालो !
हो सकता है
तुम कुछ खा भी न पाओ
कई दिनों तक
सर्दी में ठिठुरते रहो
बाहर किसी बेंच पर
जेल भी जाना पड़े शायद
सहना पड़े उपहास
सहने पड़े लोगों के ताने
और अकेलापन ।
अकेलापन एक उपहार है
और बाकी सब परीक्षा है
तुम्हारे धैर्य की
और तुम्हारे जूनून की
कि तुम किस हद तक जाओगे
ऐसा कर डालने के लिए।
और तुम कर जाओगे
लोगों के साथ बिना भी
तमाम रुकावटों के बाद भी
तुम कर जाओगे उसे
किसी भी और चीज़ से बेहतर।
अग़र कुछ सोचा है करने को
तो पूरा करना ज़रूर
उसके जैसा कोई एहसास नहीं।
और जब तुम बढ़ जाओगे आगे
तो पाओगे अपने चारों तरफ़
आग से चमकती रात
लेकिन तुम आगे बढ़ना
तुम करना, तुम करना, पूरा हासिल करना
छोड़ना नहीं कहीं बीच में।
जब पूरा कर लोगे वो
जो सोचा था
उस भरपूर ख़ुशी के बीच
लड़ना होगा तुम्हें
असली युद्ध!
लड़ते रहो , झगड़ते रहो , उन सपनों के लिए जो आपको सोने नही देते।।
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