हमारे देश को आज़ाद हुए कई साल हो गए है , लेकिन क्या हम अब भी आज़ाद है .वो लोहे की चैन से बंधा हाथी वाली कहानी तो याद ही होगी आपको. कैसे एक विशालकाय हाथी छोटी से चेन से बंधा होता है क्योंकि वो अपनी पाभंध वाली चैन में जकड़ा हुआ होता है वेसे ही हम भी गुलाम है अपनी सोच के , अपने विचारों के .
आप दावा करोगे की मैं तो आज़ाद हूं ,अपने तरीको से जीता हूँ लेकिन क्या यह सच है .मैं पूछता हूँ जब तू ट्रैफीक लाइट के लाल हो जाने पर अपनी गाड़ी ज़ेबरा क्रासिंग वाली लाइन से पीछे रोकता है ,और पीछे वाला थोड़ा आगे जाने को कहता है तो क्यों तू गाडी ज़ेबरा क्रासिंग पर ले जाता है .
या फिर जब तेरा दोस्त तुझसे गाली देकर बात करता है तो क्यों तू भी उस जैसा बन जाता है और गाली में जवाब देता है ,यह इंस्टेंट रिएक्शन यही साबित करता है कि तू चाहता तो तू उसे इग्नोर कर देता मगर तुझे खुद को बदलना पड़ा उस चंद मोमेंट के लिए !!
आप दावा करोगे की मैं तो आज़ाद हूं ,अपने तरीको से जीता हूँ लेकिन क्या यह सच है .मैं पूछता हूँ जब तू ट्रैफीक लाइट के लाल हो जाने पर अपनी गाड़ी ज़ेबरा क्रासिंग वाली लाइन से पीछे रोकता है ,और पीछे वाला थोड़ा आगे जाने को कहता है तो क्यों तू गाडी ज़ेबरा क्रासिंग पर ले जाता है .
या फिर जब तेरा दोस्त तुझसे गाली देकर बात करता है तो क्यों तू भी उस जैसा बन जाता है और गाली में जवाब देता है ,यह इंस्टेंट रिएक्शन यही साबित करता है कि तू चाहता तो तू उसे इग्नोर कर देता मगर तुझे खुद को बदलना पड़ा उस चंद मोमेंट के लिए !!
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